कथासार:
नाटक की कहानी एक लड़की के विवाह से शुरू होती है उसी गांव में एक शिकारी रहता है एक रोज वह शिकार करने जाता है वहां उसका दोस्त जो व्यापारी और विवाहित लड़की का पिता है उससे मिलता है और शहर निकल जाता है शिकारी शिकार करके घर पहुंचता है शाम को व्यापारी शिकारी के घर आता है उससे पक्षी खरीदने के लिए पर पकड़े गए पक्षियों की रकम अधिक होन पर एक कबूतर को वहीं छोड़कर अन्य पक्षियों को ले जाता है विवाहित लड़की अपने दैनिक कार्य कर रही होती है उसी समय उसका पति उसे बुला लेता है व्यापारी शिकारी से कबूतर लेने आता है पर क्योंकि शिकारी का प्रेम उस कबूतर से बढ़ गया होता है वह व्यापारी को कबूतर ले जाने से मना कर देता है अगले दिन शिकारी जंगल में शिकार करने जाता है पर उस दिन उसकी सबसे पसंदीदा चिड़िया उसके हाथों मर जाती है जिससे दुखी होकर वह घर लौटता है वहां उसका दोस्त व्यापारी फिर से कबूतर लेने आता है और शिकारी के मना करने पर उन दोनों के बीच बहस बढ़ जाती है और शिकारी कबूतर को आजाद कर देता है
मंच पर-
शिकारी- अंशुल पटेल
व्यापारी- शुभम सत्यप्रेमी
बेटी- मधु लालवानी
चिड़िया- ऋतु सभरवाल
व्यक्ति 1- शिरीष सत्यप्रेमी
व्यक्ति 2- प्रशांत राठौर
मंच परे-
वेशभूषा- मधु लालवानी, ऋतु सभरवाल
मंच निर्माण- शुभम सत्यप्रेमी
रूप सज्जा- रानू सत्यप्रेमी
रंग सामग्री निर्माण- शुभम सत्यप्रेमी , देवेन्द्र पालोत्रा, सुदर्शन स्वामी ,अंशुल पटेल
प्रचार-प्रसार – हर्षवर्धन सिंह
प्रकाश परिकल्पना- पूजा मालवीय
तकनीकि संगीत संचालन- हर्षित शर्मा
मार्गदर्शन – सतीश दवे
लेखन एवं निर्देशन- हर्षित शर्मा
प्रस्तुति- परिष्कृति सामाजिक सांस्कृतिक संस्था






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