लेखक/निर्देशक -सतीश दवे



निर्देशकीय
मेरे दोस्त श्री लक्ष्मण पटेल अपनी मॉ की स्मृति में हमेशा कुछ न कुछ कार्यक्रम करवाते है।एक रोज उन्होने मुझे एक घटना सुनाई टौर उस पर नाटक लिखने का कहा। मुझे घटना संवेदनषील लगी, नाटक लिखा गया,मंचन भी हो गया बाद मंे हैदराबाद में एक जैन साध्वी ने भी यही घटना सुनाई तो आष्चर्य हुआ बाद में पता चला ये दिल्ली की सच्ची घटना है। तब आघात भी लगा सुबह से ही आतंकित करती खबरें और बाजार की आर्थिक दबाव वाली संस्कृति ने मानवीय संवेदनाओं को किनारे पर धकेल दिया है। हर घर में बुजुर्गो की दषा दयनीय है । षायद सीरीयल के नायक नायिकाओ के दुख दर्द में आसु बहाना सभ्यता की पहचान बन गया है और अपने ही घर के बुजुर्ग एक्स्ट्रा हाषिये पर चले गये है।
कथासार
यह एक ऐसी मॉ की कहानी है जो सिलाई और दुसरों के घरो में काम करके अपने बच्चे श्रवण को डाक्टर बनाती है उसकी अच्छी तरह परवरिष करती है। बच्चा श्रवण बड़ा होकर एक डाक्टर बन गया है। उसकी षादी हो जाती है घर में बहु के आते ही परिभाषाएं बदलने लगती है। आर्थिक दबाव में मानवीय संवेदनाएं गौण हो जाती है। श्रवण की पत्नी तन्वी का विवाद मॉ से होता रहता है। यहॉ तक घर में आई भजन मण्डली को भी भगा दिया जाता हैं। छोटी छोटी बातो से झगड़े बड़ते जाते है। मॉ घर मे ही नौकरानी की तरह बन जाती है। एक रोज़ श्रवण का वरिष्ठ डॉ रवि अमेरिका से मेहमान की तरह घर मे आता है। उसके स्नेह और व्यवहार से पुरा मोहला अपना सा बन जाता हैं। डॉ श्रवण और डॉ तन्वी को यह भी पसंद नही आता है। डॉ श्रवण घर बेच देता है और मॉ को वृध्दाश्रम छोड़ आता है। डॉ श्रवण अंतिम समय मे मॉ के पास नहीं पहुच पाता है। मॉ मर जाती है। मॉ श्रवण के सारे पैसे लिफाफे में छोड़ जाती है।
सूत्रधार – राजेश जूनवाल
मॉ – सोनल सिंह /स्मारिका शर्मा
श्रवण – हर्शित षर्मा
तन्वी – माया षर्मा
दोस्त 1 – सुरज मालवीय
दोस्त 2 – नितीन पोरवाल
दोस्त 3 – विपीन सोलंकी
दोस्त 4 – कपिल सेनी
दोस्त 5 – राहुल राठोर
दोस्त 6 – निलेष वाडिया
बाबुजी – गोकुल परमार
षान्ति – बरखा कण्डारिया
लक्ष्मी – रीता नरवरिया
रविन्द्र – शुभम सत्यप्रेमी
वर्माजी – निलेष वाडिया
आश्रमवासी 1 – नितीन पोरवाल
आश्रमवासी 2 – विपीन सोलंकी
बिट्टो – मिताली वर्मा
पार्ष्व मंच
संगीत – राजेष जूनवाल,अभिनव जूनवाल
गायन –
वाद्यवृं – मयंक
वेषभूशा – हर्शित षर्मा, माया षर्मा, मिताली वर्मा
मंच साम्रगी – गोकुल परमार, हर्शित षर्मा,
साज सज्जा – अक्षय अमेरिया, ऋचा व्यास,
रुप सज्जा – राजेष जूनवाल, निलेष वाडिया
आलोकन – गोकुल परमार
मंच प्रबन्धन- षुभम सत्यप्रेमी,
संचालक मण्डल – अक्षय अमेरिया, बालकृश्ण षर्मा डॉ.मोहन गुप्त, डॉ.पवन कुमार मिश्रडॉ. भगवतीलाल राजप्ररोहित,
प्रवीण ठाकुर, डॉ.षैलेन्द्र पाराषरडॉ.रवि राठौर, प्रकाष पाण्डे
सहयोग -राजकुमुदजी ठोलीया, डॉ.शैलेन्द्र पाराशर, प्रवीण ठाकुर, डॉ बालकृश्ण षर्मा, डॉ. रवि राठौर, पूवा
जैन, गेहा दवे, सुदर्शन स्वामी, अभिनव जूनवाल,धर्मेश जौहरे, ऋचा भट्ट, लीना हेतवाल, गीतांजलि
जूनवाल, रीता नरवरिया, मोनिका पटेल, बरखा कण्डारिया, उशा रावत, यागिनी रावत, स्मिता गोयल,
गीत सलुजा,मिताली वर्मा, हिमांषी तिवारी, संगीता षर्मा, नागुलाल हाडा, राहुल षर्मा, दुर्गेष सुर्यवंषी,
पुजा राठौर, दीपा खत्री, प्रियंका, नितीन बाथम, राहुल वर्मा, प्रषांत राठोर, ऐलेक्स नागर, विवेक
पारसकर, प्रभाकर षर्मा, अक्षय चवरे, मोहन सिंह तोमर, भावना आहुजा, हर्श परिहार, जयेष देवडा,
आयुश षर्मा, खुषी षर्मा, तनिश्क षर्मा,


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