कथासार
असल में दिखाई ना देना ना बहुत सुंदर है या यूं कहें कि सबसे सुंदर है क्योंकि मेरे पास लगभग हर चीज का अपना आकार और रंग है शायद ये आप लोगों के लिए संभव नहीं लेकिन मैं हवा देख सकती हूं
नाटक “अनदेखा सा सब कुछ ” एक ऐसी लड़की की कहानी है जो प्राकृतिक रूप से हम से थोड़ी अलग है पर उसकी भावनाओं का विस्तार हमसे कई गुना ज्यादा है वो उन पहलुओं पर भी विचार करती है जो हमारे लिए अकल्पनीय है और इसी से अपने आसपास कल्पनाओं का अनूठा संसार गूँथ लेती है । साथ इसके उसका समाज के प्रति सकारात्मक नजरिया भी अचंभित करता है
निर्देशकीय
मानवीय संवेदनाओं को समझना परखना और उनका विश्लेषण करना हमेशा से मेरी रुचि का केंद्र रहा है । उन्हीं संवेदनाओं का विस्तार है नाटक “अनदेखा सा सब कुछ ” यह नाटक उस तबके की कहानी को कहता है जो समाज के बहुत करीब होकर भी अनदेखा सा है यह नाटक एक ऐसे व्यक्तित्व की यात्रा है जो अक्षम होकर भी सक्षम है जो अलग होकर भी एक है और इसी बिंदु ने मुझे इस नाटक को लिखने एवं मंच पर मूर्त रूप देने की प्रेरणा दी है




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